मजदूरी तो बढ़ी लेकिन उतनी मिलती क्यों नहीं ? Minimum Wages Hike

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Minimum Wages Hike: भारत सरकार ने 1 अक्टूबर 2024 से असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी दरों में वृद्धि की घोषणा की है। यह वृद्धि वेरिएबल डियरनेस अलाउंस (VDA) में संशोधन के माध्यम से की गई है। इसका उद्देश्य बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की लागत के बीच श्रमिकों को राहत देना है। हालांकि, यह देखा गया है कि कई मामलों में श्रमिकों को वास्तव में बढ़ी हुई मजदूरी नहीं मिल पाती है। इस लेख में हम न्यूनतम मजदूरी वृद्धि के विभिन्न पहलुओं और इसके कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

न्यूनतम मजदूरी का उद्देश्य श्रमिकों को शोषण से बचाना और उन्हें एक न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित करना है। भारत में न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 से लागू है। समय-समय पर इसमें संशोधन किए जाते रहे हैं। हाल के वर्षों में सरकार ने श्रम सुधारों के तहत न्यूनतम मजदूरी व्यवस्था को और मजबूत करने का प्रयास किया है। लेकिन फिर भी कई श्रमिकों को अभी भी न्यूनतम मजदूरी नहीं मिल पा रही है। आइए इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।

न्यूनतम मजदूरी क्या है?

न्यूनतम मजदूरी वह न्यूनतम राशि है जो एक नियोक्ता को अपने कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से देनी होती है। यह एक कानूनी अधिकार है जिसका उल्लंघन करने पर नियोक्ता पर कार्रवाई की जा सकती है। न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण कई कारकों को ध्यान में रखकर किया जाता है, जैसे:

  • श्रमिक और उसके परिवार की बुनियादी जरूरतें
  • महंगाई और जीवन यापन की लागत
  • क्षेत्र और उद्योग की विशेष परिस्थितियां
  • श्रमिक की कौशल श्रेणी
  • भौगोलिक क्षेत्र (शहरी/ग्रामीण)

भारत में न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। केंद्र सरकार केंद्रीय क्षेत्र के उद्यमों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करती है, जबकि राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करती हैं।

न्यूनतम मजदूरी योजना की मुख्य विशेषताएं

विशेषताविवरण
लागू होने की तिथि1 अक्टूबर 2024
लाभार्थीअसंगठित क्षेत्र के कामगार
क्षेत्रनिर्माण, लोडिंग-अनलोडिंग, सफाई, सुरक्षा, खनन, कृषि आदि
न्यूनतम दैनिक मजदूरी (क्षेत्र A)अकुशल: ₹783, अर्ध-कुशल: ₹868, कुशल: ₹954, अति-कुशल: ₹1,035
न्यूनतम मासिक मजदूरी (क्षेत्र A)अकुशल: ₹20,358, अर्ध-कुशल: ₹22,568, कुशल: ₹24,804, अति-कुशल: ₹26,910
संशोधन की आवृत्तिवर्ष में दो बार (1 अप्रैल और 1 अक्टूबर)
संशोधन का आधारऔद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
कार्यान्वयन एजेंसीश्रम एवं रोजगार मंत्रालय

न्यूनतम मजदूरी वृद्धि के कारण

न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि के पीछे कई कारण हैं:

  1. बढ़ती महंगाई: पिछले कुछ वर्षों में महंगाई दर में लगातार वृद्धि हुई है। इससे श्रमिकों की क्रय शक्ति प्रभावित हुई है।
  2. जीवन यापन की बढ़ती लागत: शहरीकरण और आधुनिकीकरण के कारण जीवन यापन की लागत में वृद्धि हुई है।
  3. श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार: सरकार का लक्ष्य श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार लाना है।
  4. आर्थिक असमानता को कम करना: न्यूनतम मजदूरी वृद्धि से निम्न आय वर्ग और उच्च आय वर्ग के बीच की खाई को कम करने में मदद मिलती है।
  5. अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों का पालन: भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का सदस्य है और उसके मानकों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।

न्यूनतम मजदूरी वृद्धि के लाभ

न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि के कई सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं:

  • श्रमिकों की आय में वृद्धि: इससे श्रमिकों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और उनका जीवन स्तर सुधरेगा।
  • गरीबी उन्मूलन: अधिक मजदूरी से श्रमिक परिवार गरीबी रेखा से ऊपर आ सकते हैं।
  • आर्थिक विकास: श्रमिकों की बढ़ी हुई आय से मांग बढ़ेगी जो अर्थव्यवस्था को गति देगी।
  • श्रम उत्पादकता में वृद्धि: बेहतर मजदूरी से श्रमिकों का मनोबल बढ़ेगा और वे अधिक उत्पादक हो सकते हैं।
  • सामाजिक सुरक्षा: न्यूनतम मजदूरी श्रमिकों को आर्थिक शोषण से बचाती है।

न्यूनतम मजदूरी वृद्धि के नकारात्मक प्रभाव

हालांकि न्यूनतम मजदूरी वृद्धि के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं:

  • रोजगार पर प्रभाव: कुछ नियोक्ता बढ़ी हुई मजदूरी के कारण कम श्रमिकों को रोजगार दे सकते हैं।
  • अनौपचारिक क्षेत्र का विस्तार: कुछ उद्यम अनौपचारिक क्षेत्र में चले जा सकते हैं जहां न्यूनतम मजदूरी कानून लागू नहीं होता।
  • मुद्रास्फीति: बढ़ी हुई मजदूरी से उत्पादन लागत बढ़ सकती है जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं।
  • प्रतिस्पर्धा पर प्रभाव: छोटे उद्यमों के लिए बढ़ी हुई मजदूरी का बोझ उठाना मुश्किल हो सकता है।

न्यूनतम मजदूरी कार्यान्वयन की चुनौतियां

न्यूनतम मजदूरी वृद्धि की घोषणा के बावजूद कई श्रमिकों को वास्तव में बढ़ी हुई मजदूरी नहीं मिल पाती है। इसके पीछे कई कारण हैं:

  1. जागरूकता की कमी: कई श्रमिकों को अपने अधिकारों और न्यूनतम मजदूरी के बारे में पता नहीं होता।
  2. कमजोर निगरानी तंत्र: श्रम विभाग के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं जिससे नियमित निरीक्षण और निगरानी नहीं हो पाती।
  3. अनौपचारिक क्षेत्र का बड़ा आकार: भारत में बड़ी संख्या में श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं जहां न्यूनतम मजदूरी कानून लागू करना मुश्किल होता है।
  4. नियोक्ताओं का विरोध: कुछ नियोक्ता बढ़ी हुई मजदूरी देने से बचने के लिए विभिन्न तरीके अपनाते हैं।
  5. जटिल मजदूरी संरचना: कई बार मजदूरी की गणना जटिल होती है जिससे श्रमिकों को सही राशि का पता नहीं चल पाता।
  6. श्रमिक संगठनों की कमजोरी: असंगठित क्षेत्र में श्रमिक संगठन कमजोर हैं जो श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा नहीं कर पाते।
  7. भ्रष्टाचार: कुछ मामलों में निरीक्षण अधिकारी रिश्वत लेकर उल्लंघन की अनदेखी कर देते हैं।

न्यूनतम मजदूरी कार्यान्वयन में सुधार के उपाय

न्यूनतम मजदूरी के बेहतर कार्यान्वयन के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  1. जागरूकता अभियान: श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच न्यूनतम मजदूरी के बारे में व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।
  2. डिजिटल प्लेटफॉर्म: एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया जा सकता है जहां श्रमिक अपनी शिकायत दर्ज करा सकें।
  3. श्रम निरीक्षण में सुधार: श्रम विभाग को अधिक संसाधन और प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे प्रभावी निरीक्षण कर सकें।
  4. सख्त दंड: न्यूनतम मजदूरी कानून के उल्लंघन पर सख्त दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए।
  5. श्रमिक हेल्पलाइन: एक टोल-फ्री हेल्पलाइन स्थापित की जानी चाहिए जहां श्रमिक अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।
  6. सरलीकृत मजदूरी संरचना: मजदूरी की गणना को सरल बनाया जाना चाहिए ताकि श्रमिक आसानी से समझ सकें कि उन्हें कितनी मजदूरी मिलनी चाहिए।
  7. श्रमिक संगठनों को मजबूत करना: असंगठित क्षेत्र में श्रमिक संगठनों को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि वे श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा कर सकें।
  8. ई-श्रम पोर्टल का उपयोग: ई-श्रम पोर्टल का उपयोग करके असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का डेटाबेस तैयार किया जाना चाहिए और उनकी मजदूरी की निगरानी की जानी चाहिए।
  9. नियोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन: जो नियोक्ता नियमित रूप से न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करते हैं, उन्हें कर छूट या अन्य प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं।
  10. तृतीय पक्ष ऑडिट: स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा नियमित ऑडिट किया जाना चाहिए ताकि न्यूनतम मजदूरी के कार्यान्वयन की निष्पक्ष जांच हो सके।

Author

  • Muskan Khatri

    Muskan Khatri has a Master’s degree in Mass Media and over 4 years of experience writing about government schemes, Yojana, recruitment, and the latest educational trends.

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14 thoughts on “मजदूरी तो बढ़ी लेकिन उतनी मिलती क्यों नहीं ? Minimum Wages Hike”

  1. Triveni sugar mil Mein kam karta hun ismein Hamari salary Nahin Badhai ja rahi hai mahine mein duty Karai Jaati Hai 10000 salary Dete Hain aap batao Itni mahangai Mein Ham Kya Karen han main Shikayat karne ke liye ek toll free number chahie jisse ki Ham apni Shikayat kar Saken Sarkar ko is per Dhyan Dena chahie Jyada Se Jyada Hamara HR plus Thekedar donon Hamare paise kha rahe hain

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  2. पॉवर प्लांट में अभी सेलरी को लेकर कोई अपडेट नही है।
    श्रमिको को कोई जानकारी नहीं है।
    सरकार के आदेश का कोई पालन नही कर रहा है।

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  3. Bihar sarkar krishi vibhaag me karyrat Kisan salahkar ke mandey me bridhi nhi kr rhi hai unko minimum wage nhi mil rha hai

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  4. Sara company me aese hi hota hai , baato ki itna dur jaake 10k-15k salary me kya hoga 10k to room ka hi lag jata h .
    Isko sudhar karna chahiye.

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  5. ARMY me jitne b supply depo hai sab me Contract labour bharti ki jati ha chahe ration supply karna ho , chahe diesel, petrol , chemical item, greece, loading unloading sab labour karti ha unko minimum wages ka koi fayda nahi ha thekedar badi hui salary Dene se mana kar rahe ha or army officer b bat nahi sun rahe kya fayda ha ye sab Sarkar ko majboori se lagu karna chahiye

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  6. अडानी सोलर पलांट मे काम करने वाले मजदूर का सेलरी 12000 रूपये मिलते है

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