मां की संपत्ति पर अब बेटे का नहीं रहेगा हक! जानें कानून में बड़ा बदलाव Mother Property Son Rights Terminated

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Mother Property Son Rights Terminated: भारत में संपत्ति के अधिकारों को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति रहती है, विशेष रूप से जब यह सवाल आता है कि माता के नाम की संपत्ति पर बेटे का अधिकार क्या है। भारतीय समाज में पारंपरिक रूप से संपत्ति का उत्तराधिकार पुरुषों को दिया जाता था, लेकिन समय के साथ कानूनों में बदलाव आया है। इस लेख में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि माता के नाम की संपत्ति पर बेटे का अधिकार कैसे प्रभावित होता है और इसके पीछे क्या कानूनी प्रावधान हैं।

माता के नाम की संपत्ति पर बेटा का अधिकार

भारतीय कानून के अनुसार, यदि कोई महिला अपनी संपत्ति स्वयं अर्जित करती है, तो उस पर उसके जीवनकाल में उसके बच्चों का कोई अधिकार नहीं होता। वह अपनी इच्छा के अनुसार अपनी संपत्ति किसी को भी दे सकती है। अगर महिला की मृत्यु बिना वसीयत के होती है, तो संपत्ति का बंटवारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत किया जाता है।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956

  • स्व-अर्जित संपत्ति: यदि माँ ने अपनी मेहनत से संपत्ति अर्जित की है, तो उसके जीवनकाल में बेटा या बेटी उस पर दावा नहीं कर सकते।
  • बिना वसीयत मृत्यु: अगर माँ की मृत्यु बिना वसीयत के होती है, तो उसकी संपत्ति उसके कानूनी उत्तराधिकारियों में समान रूप से बांटी जाती है।
  • वसीयत: माँ अपनी वसीयत में किसी को भी अपना उत्तराधिकारी बना सकती है।

मुस्लिम कानून

मुस्लिम कानून के तहत, माँ की संपत्ति का बंटवारा शरीयत कानून के अनुसार होता है। यहाँ स्व-अर्जित और पैतृक संपत्ति में कोई भेद नहीं होता। माँ अपने जीवनकाल में अपनी संपत्ति का प्रबंधन कर सकती है और मृत्यु के बाद उसका बंटवारा शरीयत के अनुसार होता है.

संपत्ति बंटवारे का सारांश

विशेषताविवरण
स्व-अर्जित संपत्तिमाँ की स्वयं अर्जित संपत्ति पर जीवनकाल में बच्चों का कोई अधिकार नहीं।
बिना वसीयत मृत्युहिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत सामान बंटवारा।
वसीयत द्वारा बंटवारामाँ अपनी इच्छा से किसी को भी उत्तराधिकारी बना सकती है।
मुस्लिम कानूनशरीयत कानून के अनुसार बंटवारा।
बेटी का अधिकार2005 संशोधन के बाद बेटियों को भी समान अधिकार मिला।
पैतृक संपत्तिपैतृक संपत्ति पर बेटा-बेटी दोनों का समान अधिकार।

बेटियों का अधिकार

2005 में हुए संशोधन से पहले बेटियों को पैतृक संपत्ति में कोई अधिकार नहीं था। लेकिन अब हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत विवाहित और अविवाहित दोनों बेटियों को अपने माता-पिता की संपत्ति पर कानूनी अधिकार प्राप्त हैं।

Disclaimer:

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है और इसे कानूनी सलाह नहीं माना जाना चाहिए। वास्तविक मामलों में कानूनी सलाह लेने की सिफारिश की जाती है। इस विषय पर जानकारी समय-समय पर बदल सकती है, इसलिए अद्यतन जानकारी हेतु विशेषज्ञ से संपर्क करें।

Author

  • Muskan Khatri

    Muskan Khatri has a Master’s degree in Mass Media and over 4 years of experience writing about government schemes, Yojana, recruitment, and the latest educational trends.

    View all posts

Leave a Comment